चंद्रगुप्त मौर्य 322 BC 298 BC : - यह पीपल वंश के मोरीन सरदार का पुत्र था,
इसी कारण इसका नाम मौर्य वंश पड़ा ॥
❖ जस्टिन कहता है कि "एक बार फिर भारत में करवट बदली और गुलामी का जुवा उतार फेंका"
❖
प्लुटार्क कहता है कि "मौर्य की सेना में 600000 सैनिक थे " ।
❖ जस्टिन " मौर्य की सेना को डाकुओं का गिरोह कहता है"
।
यूनानी दूत मेगास्थनीज मौर्य दरबार में आता है और तत्कालीन समाज शासन व्यवस्था का उल्लेख अपनी पुस्तक इंडिका में करता है, मगध में आए भीषण अकाल के कारण चंद्रगुप्त जैन गुरु भद्रबाहु के साथ श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) जाता है और वही सल्लेखना कर लेता है
बिंदुसार
इसी समय सीरिया के शासक ANTINEOCUS ने डाई मेकस्
को अपना दूत बनाकर बिंदुसार के पास भेजा |
बिंदुसार ने इसे 3 वस्तुएं मांगी
:
❖ मीठी मदिरा
❖ सुखी अंजीर
❖ दार्शनिक
(सोफिस्ट) ||
अशोक 273BC 232 BC :
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इसे चंड अशोक भी कहा जाता है
❖ 273 बी0 सी0 में इसका राज्यारोहण हुआ
।
❖ 269 PC में इस का राज्यभिषेक हुआ ।
इसके कुल 47 अभिलेख शिलालेख मिले हैं।
इसके पुत्र (1) महेंद्र (2)
कुणाल
अभिलेखों में एक और पुत्र तीवर का उल्लेख है।
पुत्रियां (1) संघमित्रा (2) चारुमित्रा
अशोक को इसके भाई उपगुप्त (मोगली पुत्र निश्य) ने बौद्ध बनाया
।
इसके अभिलेखों की खोज सर्वप्रथम 1750 में
HYFENTHELER ने की थी, इसे पढ़ने का श्रेय 1837 में जेम्स प्रिंसेप को जाता है
।
अभिलेखों में 4 लिपियों का प्रयोग किया गया है।
- ब्राह्मी
- खरोष्ठी
- यूनानी
- आरा माइक
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अफगानिस्तान के सर ए क्युना से मिले अभिलेख में यूनानी एवं आरा माइक मिली है अफगानिस्तान के लंपक और लम्हान
आरा माइक लिपि मिली है, अधिकतर अभिलेखों में ब्राह्मी लिपि का प्रयोग किया गया है।
मौर्यकालीन समाज एवं शासन :
न्यायिक व्यवस्था : - न्यायालय दो प्रकार के थे
- कंटक शोधन ( फौजदारी) इस के न्यायाधीश को प्रदेशटा कहते थे
- धर्मस्य( दीवानी) इस के न्यायाधीश को व्यवहारिक कहा जाता था ।
गुप्तचर: _ इन्हें गुढ पुरुष कहा जाता था यह दो प्रकार के होते थे
।
1 संस्था 2 भ्रमणशील
कर व्यवस्था कर के प्रकार
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प्रणय कर = आपातकालीन कर संकटकालीन
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पिंड कर = गांव समूह कर
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हिरण्य कर = नकद कर
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विदक कर = सिंचाई कर
मुद्रा व्यवस्था
भारत में प्रचलित मुद्रा पंच मार्क( आहत मुद्रा ) थी जो चांदी की बनी होती थी इसके प्राचीनतम प्रमाण 600 BC
छठी शताब्दी ईस्वी पूर्व के हैं । इसके पहले हड़प्पा सभ्यता के सिक्कों को मोहर कहा जाता था
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सोने के सिक्कों को स्वर्ण चांदी के सिक्कों को पड तांबे के सिक्कों को माषक कहा जाता था
इंडिका में पाटलिपुत्र को पोलिबोधा कहा गया है,
जो गंगा एवं सोन नदी के किनारे स्थित है।
स्पूनर
ने खुदाई में इस नगर को निकाला । इंडिका में नगर प्रशासन के लिए पांच पांच सदस्यों की 6 समितियों का उल्लेख है
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सड़क अधिकारी को स्टोनोएयी एवं राजस्व अधिकारी को
एग्रोनोयी कहा जाता था
। अर्थशास्त्र में 18 तीर्थ एवं 27 मजिस्ट्रेट विभागाध्यक्ष का उल्लेख है ।
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लक्षणा अध्यक्ष मुद्रा जारी करता था ।
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मुद्रा अध्यक्ष अनुमति जारी करता था
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मेगास्थनीज भारत में 7 प्रकार की जातियों का उल्लेख करता है ।
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दार्शनिक
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कृषक
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ग्वाले
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व्यापारी
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सैनिक
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निरीक्षक
❖ सभासद
इस में दास प्रथा का उल्लेख नहीं किया ना भारत में दास प्रथा का उल्लेख है
।
कला
दीदारगंज पटना से 6 फीट 9 इंच की चामर ग्रहणी यछी की प्रस्तर की एक मूर्ति मिली है।
❖ सांची का स्तूप चार सिंह और दाना चुगता हुआ हंस
(महस्तूप)
❖ सारनाथ स्तंभ 4 सिंह वृषभ अश्व
सिंह गज
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अशोक और उसके पौत्र दशरथ आजिवको के लिए गुफाएं बनवाई
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अशोक ने बराबर पहाड़ी ( गया ) करण चौपाटी , सुदामा,
लोमस, विश्व झोपड़ी |
दशरथ ने नागार्जुन पहाड़ी में गोपी, बडयिका का नामक गुफाएं बनवाएं इस वंश का अंतिम शासक वृहद्रथ था जिसकी हत्या उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने 184 बी सी में कर दी
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